पहली कक्षा में एडमिशन के लिए तय हुई नई आयु सीमा, सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के लिए जारी हुए निर्देश First Class Admission 2025
First Class Admission 2025: हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा सही उम्र में स्कूल में दाखिला लेकर अपनी पढ़ाई की शुरुआत करे। लेकिन अक्सर स्कूल एडमिशन के समय सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि आखिर पहली कक्षा में एडमिशन के लिए बच्चे की न्यूनतम उम्र कितनी होनी चाहिए। इसी को लेकर अब हरियाणा सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है, जो सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों पर लागू होगा।
हरियाणा के स्कूल शिक्षा निदेशालय ने पहली कक्षा में दाखिले के लिए न्यूनतम आयु सीमा को स्पष्ट कर दिया है। इस नए नियम से लाखों अभिभावकों को साफ दिशा-निर्देश मिल गए हैं और एडमिशन प्रक्रिया में पारदर्शिता भी आएगी।हरियाणा के स्कूल शिक्षा निदेशालय ने पहली कक्षा में दाखिले के लिए न्यूनतम आयु सीमा को स्पष्ट कर दिया है। इस नए नियम से लाखों अभिभावकों को साफ दिशा-निर्देश मिल गए हैं और एडमिशन प्रक्रिया में पारदर्शिता भी आएगी।
पहली कक्षा में दाखिले के लिए तय हुई उम्र सीमा
हरियाणा के सरकारी और निजी स्कूलों में अब पहली कक्षा में दाखिले के लिए बच्चे की न्यूनतम उम्र 6 साल होनी चाहिए। इसका मतलब है कि जो बच्चे 1 अप्रैल 2025 तक 6 वर्ष पूरे कर लेंगे, वही पहली कक्षा में दाखिले के लिए पात्र माने जाएंगे।हालांकि, सरकार ने कुछ लचीलापन भी दिखाया है। जिन बच्चों की उम्र 1 अप्रैल तक 6 साल पूरी नहीं हो पाएगी, लेकिन 30 सितंबर 2025 तक वह 6 साल के हो जाएंगे, उन्हें भी पहली कक्षा में दाखिला लेने की अनुमति दी जाएगी। इस छूट के कारण बच्चों का शैक्षणिक वर्ष बर्बाद नहीं होगा।शिक्षा निदेशालय ने जारी किए नए आदेश
हरियाणा विद्यालय शिक्षा निदेशालय ने स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए कहा है कि सभी सरकारी और निजी स्कूलों को इस नई उम्र सीमा का पालन करना अनिवार्य होगा। इसके पीछे उद्देश्य यह है कि बच्चों की शैक्षणिक यात्रा सही उम्र में शुरू हो और उन्हें शिक्षा की हर सीढ़ी को पार करने का पूरा समय मिलेनई उम्र सीमा लागू करने का मुख्य कारण बच्चों के मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक विकास को ध्यान में रखना है। जब बच्चे तय उम्र में पहली कक्षा में प्रवेश लेंगे तो वे पढ़ाई को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे और उनके सीखने की क्षमता भी अधिक होगी
वर्तमान शैक्षणिक सत्र में क्या था नियम?
सत्र 2024-25 के दौरान सरकार ने 5 वर्ष 6 महीने के बच्चों को भी पहली कक्षा में दाखिला देने की अनुमति दी थी। लेकिन अब इस नियम में बदलाव करते हुए न्यूनतम उम्र सीमा को बढ़ाकर 6 वर्ष कर दिया गया है। यह बदलाव अगले शैक्षणिक सत्र से प्रभावी होगा।
इस निर्णय से पहले काफी समय से यह मांग उठ रही थी कि बच्चों के एडमिशन में उम्र सीमा को लेकर एक स्पष्ट और समान नियम लागू किया जाए, ताकि सभी स्कूलों में एक जैसी व्यवस्था हो।पूर्व-प्राथमिक कक्षा से प्रोन्नति के लिए भी लागू होंगे नियम
कई बार ऐसा होता है कि बच्चे पूर्व-प्राथमिक (Pre-Primary) कक्षा पूरी कर लेते हैं, लेकिन उनकी उम्र पहली कक्षा में प्रवेश के लिए निर्धारित सीमा से थोड़ी कम होती है। ऐसे बच्चों को लेकर भी शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि अगर उनकी उम्र 30 सितंबर 2025 तक 6 वर्ष पूरी हो जाएगी तो उन्हें पहली कक्षा में प्रोन्नत किया जाएगा।नई शिक्षा नीति के तहत लिया गया निर्णय
यह नया नियम नई शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के अनुरूप लागू किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में देशभर में पहली कक्षा में प्रवेश के लिए न्यूनतम उम्र 6 वर्ष निर्धारित की गई है।
हरियाणा सरकार ने भी अब इसी मानक को अपनाते हुए अपने सभी स्कूलों में इसे अनिवार्य कर दिया है। इससे राज्य के शैक्षणिक मानक राष्ट्रीय स्तर के साथ तालमेल में आ जाएंगेआधिकारिक आदेश में क्या कहा गया है?
शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि:
पहली कक्षा में वही बच्चे दाखिला ले सकेंगे जिनकी उम्र 1 अप्रैल 2025 को 6 वर्ष या उससे अधिक होगी।
30 सितंबर 2025 तक 6 वर्ष की उम्र पूरी करने वाले बच्चों को भी दाखिले की अनुमति दी जाएगी।सभी सरकारी और निजी स्कूलों को इस आयु सीमा का पालन करना होगा।
पूर्व-प्राथमिक कक्षा से प्रोन्नत होने वाले बच्चों पर भी यही नियम लागू रहेंगे।अभिभावकों के लिए क्या है जरूरी?
इस नए नियम के बाद अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र (Birth Certificate) को सही ढंग से बनवाएं और उसमें सही जन्मतिथि दर्ज कराएं। स्कूलों में एडमिशन के समय यही दस्तावेज सबसे अधिक महत्व रखते हैं।बच्चों के समुचित विकास के लिए जरूरी है सही उम्र
शिक्षाविदों का भी मानना है कि बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिहाज से स्कूल में दाखिले के लिए न्यूनतम उम्र 6 वर्ष होनी चाहिए। इस उम्र में बच्चे स्कूल जाने के लिए मानसिक रूप से तैयार होते हैं। वे पढ़ाई को समझने, सीखने और नई चीजों को अपनाने में अधिक सक्षम होते हैं।
कम उम्र में स्कूल भेजने से बच्चे पर अनावश्यक दबाव पड़ सकता है, जिससे उसका शैक्षणिक प्रदर्शन भी प्रभावित हो सकता है। इसलिए सही उम्र में दाखिला लेना बच्चे के लिए दीर्घकालिक रूप से फायदेमंद होता है।
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